कंप्यूटर का इतिहास – History of Computer in Hindi,कंप्यूटर की विभिन्न पीढ़ियों और उनके विकास
कंप्यूटर का इतिहास – History of Computer in Hindi
परिचय (Introduction)
कंप्यूटर एक ऐसा यंत्र (Device) है जो सूचनाओं को एकत्रित कर उन्हें आवश्यकता पड़ने पर सुनियोजित ढंग से प्रस्तुत करता है कंप्यूटर जटिल से जटिल गणनाओं को बहुत तेजी से तथा बिना किसी त्रुटि (Error) के संपन्न कर देता है। आजकल विश्व के हर क्षेत्र में कंप्यूटर का प्रयोग हो रहा है। आज अंतरिक्ष, फिल्म निर्माण, यातायात, उद्योग व्यापार तथा शोध का कोई भी क्षेत्र कम्प्यूटर से अछूता नहीं है। कम्प्यूटर द्वारा जहां एक तरह वायुयान, रेलवे तथा होटलों में सीटों का आरक्षण होता है वहीं दूसरी तरफ बैंकों में कम्प्यूटर की वजह से कामकाज शुद्धता तथा तेजी से हो रहा है। घरों के लिए ऐसे कम्प्यूटर मौजूद हैं जो घर का दरवाज़ा घर के सदस्य की आवाज़ सुनकर खोल देते हैं।
कम्प्यूटर के द्वारा हम ई-बिज़नेस भी कर सकते हैं। जिसे हम “ई-कॉमर्स” भी कहते हैं। कम्प्यूटर की सहायता से क्रेडिट कार्डों द्वारा ख़रीददारी भी की जा सकती है।
विश्व भर में कंप्यूटरों के परस्पर संयोजन से बना एक संचार जाल (Communicaton Network) है जिसे हम इंटरनेट कहते हैं। इंटरनेट द्वारा हम कभी भी, कहीं से भी संदेश एक शहर से दूसरे शहर में ईमेल के जरिए भेज सकते हैं
(विषय–सूची)
- कंप्यूटर का इतिहास
- अबेकस (Abacus)
- Pascaline ( ब्लेज़ पास्कल )(Blaize Pascal)
- Napier’s Bones
- चार्ल्स बैबेज और डिफरेंस इंजिन (Charles Babbage and Difference Engine)
- चार्ल्स बैबेज का एनालिटिकल इंजिन (Charles Babbage’s Analytical Engine)
- होलेरिथ सेंसस टेबुलेटर (Hollerith Census Tabulator)
- डॉ. हावर्ड काईकेन का मार्क-1 (Dr. Howard Aiken’s Mark-1)
- ए.बी.सी. (The A.B.C)
- कंप्यूटर की पीढ़ियाँ (Generations of The Computer)
पहली पीढ़ी (First Generation - 1940s to 1950s)
वैक्यूम ट्यूब्स (Vacuum Tubes),मेमोरी और स्टोरेज (Memory and Storage), प्रोसेसिंग स्पीड (Processing Speed)
दूसरी पीढ़ी (Second Generation - 1950s to 1960s) ट्रांजिस्टर (Transistors), मेमोरी और स्टोरेज (Memory and Storage), उच्च-स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाएं (High-Level Programming Languages)
तीसरी पीढ़ी (Third Generation - 1960s to 1970s) इंटीग्रेटेड सर्किट्स (Integrated Circuits - ICs), मेमोरी और स्टोरेज (Memory and Storage), ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating Systems)
चौथी पीढ़ी (Fourth Generation - 1970s to 1980s), माइक्रोप्रोसेसर (Microprocessors), पर्सनल कंप्यूटर (Personal Computers - PCs), नेटवर्किंग और इंटरनेट (Networking and the Internet)
पांचवीं पीढ़ी (Fifth Generation - 1980s to Present), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence - AI), समानांतर प्रोसेसिंग (Parallel Processing), क्वांटम कंप्यूटिंग (Quantum Computing), उन्नत इंटरफेस (Advanced Interfaces)
History of Computer in Hindi – कंप्यूटर का इतिहास
क्या आपको पता है कंप्यूटर का इतिहास
कितना पुराना है? यदि आपको कम्प्यूटर की इतिहास के विषय
में जानना है तब आपको पहले जानना होगा की बड़े Numbers को
इन्सान कैसे हिसाब करता था। छोटे संख्या को तो आसानी से हाथों का इस्तमाल कर हिसाब
किया जा सकता है, लेकिन जब बात बड़े संख्या की आती है तब
ऐसे में उन्हें बड़ी तकलीफ हुई और उन्होंने नयी नहीं systems का
इजात किया जो की उन्हें इसमें मदद करती थी।
1- ABACUS (अबेकस)
अबेकस कंप्यूटर के इतिहास का सबसे पुराना डिवाइस है इसे 2400 ईसा पूर्व चीनियों (Chinese) के द्वारा बनाया गया था। यह एक लकड़ी का बॉक्स था जिसमे धातु से बनी रोड का उपयोग किया जाता था जिसमे मोतियों की माला लगी होती थी।
इसमें धातु की rod (रोड) में मोतियों को डाला जाता था और कुछ नियमो द्वारा इसका उपयोग गणना करने के लिए किया जाता था। आज के समय में भी अबैकस कंप्यूटर का उपयोग चीन, रूस और जापान जैसे कुछ देशों में किया जाता है।
ABACUS का पूरा नाम Abundant Beads, Addition and Calculation Utility System होता है. इसका इस्तेमाल जोड़, घटाना, गुणा, और भाग करने के लिए किया जाता है.
ABACUS (अबेकस) |
3- Pascaline (पास्कलाइन)
Pascaline पहला यांत्रिक कैलकुलेटर था जिसका आविष्कार 1642 और 1644 के बीच ब्लेज़ पास्कल के द्वारा किया गया था। यह उस समय का पहला स्वचालित कैलकुलेटर (automatic calculator) था।
इस कैलकुलेटर का इस्तेमाल केवल जोड़ और घटाव के लिया किया जाता था। यह एक लकड़ी का बॉक्स था जिसमे पहिये लगे होते थे। इन पहियों का उपयोग जोड़ और घटाव करने के लिए किया जाता है।
Pascaline ( ब्लेज़ पास्कल ) |
4- Napier’s Bones
इसे develop किया था, English Mathematician John Napier सन 1617 AD में। यह एक ऐसा mechanical device है जिसे की Multiplication के उद्देश्य से बनाया गया था। इसे कहा जाता है Napier’s bones वो उन वैज्ञानिक के नाम के बाद।
5- चार्ल्स बैबेज और डिफरेंस इंजिन (Charles
Babbage and Difference Engine)
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में गणित के
प्रोफेसर चार्ल्स बैबेज ने एक Mechanical Calculating मशीन विकसित करने की आवश्यकता तब महसूस की जब गणना के लिये बनी हुई
सारिणियों में त्रुटि (Error) आने लगी। ये सारिणियां मानव द्वारा ही
बनायी गयी थीं इसलिए इनमें त्रुटि आ सकती थी।
चार्ल्स बैबेज ने सन् 1822 में एक मशीन का निर्माण किया जिसका नाम उन्होंने “डिफरेंस इंजिन” रखा। इस इंजिन की सहायता से Algebraic Expression एवं साख्यिकीय तालिकाओं की गणना 20 अंकों तक शुद्धता से की जा सकती थी।
6- चार्ल्स बैबेज का एनालिटिकल इंजिन (Charles
Babbage’s Analytical Engine)
चार्ल्स बैबेज ने डिफरेंस इंजिन की
सफलता से प्रेरित होकर चार्ल्स बैबेज ने एक ऐसे कैल्कुलेटिंग डिवाइस (Calculating
Device) की परिकल्पना की, जिसमें उसकी एक कृत्रिम स्मृति (Artificial Memory) हो एवं दिये गये प्रोग्राम के अनुसार कैल्कुलेशन करे। इस डिवाइस को
उन्होंने बैबेज एनालिटिकल
इंजिन नाम दिया।
यह मशीन कई प्रकार के गणना संबंधी
कार्य ((Computing Work) करने में सक्षम थी।
यह पंचकार्डों पर संग्रहीत (Stored) निर्देशों के समूह
द्वारा निर्देशित होकर कार्य करती थी। इसमें निर्देशों (instructions)
को संग्रहीत करने की क्षमता थी। और
इसके द्वारा स्वाचलित रूप से परिणाम भी छापे जा सकते थे।बैबेज का यह एनालिटिकल
इंजिन आधुनिक कम्प्यूटर का आधार बना यही कारण है की चार्ल्स बैबेज को कंप्यूटर का जनक कहा जाता है।
बैबेज का एनालिटिकल इंजिन शुरू में
बेकार समझा गया था तथा उसकी उपेक्षा की गई जिसके कारण बैबेज को बड़ी निराशा हुई।
परंतु एडा ऑगस्टा(Ada
Augusta), जो प्रसिद्ध कवि लॉर्ड वायरन की
पुत्री थी. उन्होंने बैबेज के उस एनालिटिकल इंजिन में गणना के निर्देशों को विकसित
करने में मदद की। चार्ल्स को जिस प्रकार कंप्यूटर विज्ञान का जनक होने का गौरव
प्राप्त है उसी प्रकार विश्व में एडा ऑगस्टा को “पहले प्रोग्रामर” होने का श्रेय जाता है। एडा ऑगस्टा को सम्मानित करने के उद्देश्य
से एक प्रोग्रामिंग भाषा का नाम “एडा” (ada)
रखा गया।
7- होलेरिथ सेंसस टेबुलेटर (Hollerith
Census Tabulator)
चार्ल्स बैबेज के एनालिटिकल इंजिन कि
परिकल्पना के लगभग 50 वर्ष बाद अमेरिका के वैज्ञानिक हर्मन
होलेरिथ (Herman Hollerith) ने इस परिकल्पना को
साकार किया। हर्मन होलेरिथ अमेरिकन जनसंख्या ब्यूरो में काम करते थे। उन्होंने
इलैक्ट्रिकल टेबुलेटिंग मशीन(Electrical Tabulating Machine) बनाई। इस मशीन में पंचकार्डों की सहायता से आँकड़ों को संग्रहीत
किया जाता था। इन पंचकार्डों को एक-एक करके मशीन पर रखा जाता था। टेबुलेटिंग मशीन
पर लगी सुइयां इन कार्ड्स से आँकड़ों को पढ़ने का कार्य करती थी। जब सुइयां कार्ड
पर बने छिद्रों से आर-पार हो जाती थी तो वे कार्ड के नीचे रखे पारे को छू जाती थी, जिसके कारण इलैक्ट्रिकल सर्किट पूरा हो जाता था।
(Electrical Tabulating Machine) |
इस मशीन की सहायता से जनगणना का जो
कार्य 7 वर्षों में पूरा हो पाता था, अब वह मात्र 3 वर्षों में पूरा
होने लगा। सन् 1886 में होलेरिथ ने इन मशीनों के व्यापार
के लिए “टेबुलेटिंग मशीन कंपनी” नामक एक कंपनी बनायी। सन् 1911 तक इस कंपनी में कई और कंपनियाँ जुड़ गयीं। इन सभी कंपनियों के समूह को एक नाम दिया गया “कंप्यूटर टेबुलेटिंग रिकॉर्ड कंपनी”। सन् 1924 में इस कंपनी को नया नाम “IBM
Corporation” (International Business Machine Corporation) रखा गया। सन् 1930 के समाप्त होने तक I.B.M. का विश्व के पंचकार्ड उपकरणों के बाजार के 80 प्रतिशत भाग पर कब्जा हो चुका था। I.B.M. के कारण उस समय तक के प्रचलित अधिकांश उपकरण Electro-Mechanical
Equipment's में परिवर्तित कर दिये गये।
8- डॉ. हावर्ड काईकेन का मार्क-1 (Dr.
Howard Aiken’s Mark-1)
सन् 1940 में Electromechanical Computing शिखर तक पहुँच चुकी थी। आई.बी.एम के चार शीर्ष इंजीनियरों व डॉ.
हावर्ड आईकेन सन् 1944 मे एक मशीन को विकसित किया और इसका
आधिकारिक नाम ऑटोमेटिक सिक्वेन्स कंट्रोल्ड कैल्कुलेटर (Automatic
Sequence Controlled Calculator) रखा। बाद में इस
मशीन का नाम बदलकर मार्क-1 रखा गया। यह विश्व का पहला Electromechanical Computer था। इस कंप्यूटर की सहायता से सभी तरह की अंक-गणितीय गणनाएं की जा
सकती थी, साथ ही Logarithm
एवं trigonometry की गणनाएं करना भी संभव था।
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9- ए.बी.सी. (The
A.B.C)
आईकेन और IBM के मार्क-1 की तकनीक, नई इलैक्ट्रॉनिक्स तकनीक के आने से पुरानी हो गयी थी। नयी
इलैक्ट्रॉनिक तकनीक मशीनों में विद्युत की उपस्थिति व अनुपस्थिति का सिद्धांत था।
इसमें कोई भी चलायमान (moveable) पुर्जा नहीं था
इसलिए यह विद्युत यांत्रिक (Electromechanical) मशीन से तेज गति से चलता था
10- इलेक्ट्रॉनिक्स
उपकरण
सन् 1945 में एटानासोफ (Atanasoff) ने एक इलैक्ट्रॉनिक मशीन को विकसित किया, जिसका नाम ए.बी.सी (A.B.C) रखा गया। ABC, Atanasoff Berry Computer का संक्षिप्त रूप है। ABC सबसे पहला इलैक्ट्रॉनिक कंप्यूटर था।
कंप्यूटर की पीढ़ियाँ (Generations
of The Computer)
कंप्यूटर के विकास क्रम को समझने के
लिए पाँच पीढ़ियों में बाँटा गया है। इससे कंप्यूटरों की तकनीक में हुई प्रगति की
जानकारी समझने में मदद होती है। कंप्यूटर के सिद्धांत या उसके किसी भाग के नवीन
रूप में विकसित होने पर एक नयी पीढ़ी की शुरुआत होती है।
कंप्यूटर की पीढ़ियाँ निम्न प्रकार हैं
Sr.No. | पीढ़ी (Generation) | काल (Period) | तकनीक |
1 | प्रथम पीढ़ी (1st Gen.) | 1946-1956 | वैक्यूम ट्यूब |
2 | द्वितीय पीढ़ी (2nd Gen.) | 1956-1964 | ट्रांजिस्टर |
3 | तृतीय पीढ़ी (3rd Gen.) | 1964-1970 | IC (Integrated Circuit) |
4 | चतुर्थ पीढ़ी (4th Gen.) | 1970-1985 | VLSI |
5 | पंचम पीढ़ी (5th Gen.) | 1985 – अब तक | ULSIC With AI |
1. पहली पीढ़ी (First Generation - 1940s to 1950s)
पहली पीढ़ी के कंप्यूटर 1940 के दशक में विकसित हुए थे। यह कंप्यूटर आज के कंप्यूटरों से बिल्कुल अलग थे, क्योंकि वे बड़े आकार के और धीमी गति वाले थे।
वैक्यूम ट्यूब्स (Vacuum Tubes)
इस जनरेशन के कंप्यूटरों में Vacuum Tubes का उपयोग किया गया था, जो इलेक्ट्रॉनिक सर्किट के रूप में काम करते थे।
- Vacuum Tubes काफी बड़े होते थे और बहुत अधिक गर्मी उत्पन्न करते थे।
- यह कंप्यूटर काफी अस्थिर थे, और उन्हें ठंडा रखने के लिए विशेष उपकरणों की जरूरत पड़ती थी।
- ENIAC और UNIVAC जैसी मशीनें इसी जनरेशन की थीं।
मेमोरी और स्टोरेज (Memory and Storage)
इस जनरेशन के कंप्यूटरों में Magnetic Drum का उपयोग मेमोरी के रूप में किया गया था।
- यह ड्रम्स डेटा को मैग्नेटिकली स्टोर करते थे, लेकिन इनकी स्टोरेज क्षमता बहुत सीमित थी।
- इन कंप्यूटरों में Punch Cards का भी उपयोग किया जाता था, जो input और आउटपुट के लिए इस्तेमाल होती थीं।
प्रोसेसिंग स्पीड (Processing Speed)
पहली पीढ़ी के कंप्यूटरों की प्रोसेसिंग स्पीड आज के कंप्यूटरों की तुलना में बहुत धीमी थी।
- यह कंप्यूटर प्रति सेकंड कुछ हजार गणनाएँ ही कर पाते थे।
- इनकी स्पीड धीमी होने के कारण इन्हें विशेष कार्यों के लिए ही इस्तेमाल किया जाता था।
2. दूसरी पीढ़ी (Second Generation - 1950s to 1960s)
दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों
ने पहली पीढ़ी की सीमाओं को पार किया और तकनीक में महत्वपूर्ण सुधार किए।
ट्रांजिस्टर
(Transistors)
दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों
में Transistors का उपयोग किया गया, जो Vacuum Tubes की तुलना में बहुत छोटे और अधिक कुशल थे।
- ट्रांजिस्टर
ने कंप्यूटरों को आकार में छोटा और अधिक विश्वसनीय बनाया।
- ट्रांजिस्टर
की मदद से कंप्यूटर की स्पीड और परफॉरमेंस में काफी सुधार हुआ।
- IBM 1401 और IBM 7090 इसी जनरेशन के प्रसिद्ध कंप्यूटर थे।
मेमोरी और
स्टोरेज (Memory and Storage)
दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों
में Magnetic
Core Memory का
उपयोग किया गया।
- यह
मेमोरी पहली पीढ़ी के मुकाबले अधिक तेजी से और बड़े पैमाने पर डेटा को स्टोर
कर सकती थी।
- इन
कंप्यूटरों में Magnetic Tapes और Magnetic Disks का उपयोग स्टोरेज के लिए किया जाता था।
उच्च-स्तरीय
प्रोग्रामिंग भाषाएं (High-Level Programming Languages)
दूसरी पीढ़ी में High-Level
Programming Languages का विकास हुआ, जैसे FORTRAN और COBOL।
- यह
भाषाएं कंप्यूटर प्रोग्रामिंग को अधिक आसान और उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाती
थीं।
- अब
प्रोग्रामर सीधे मशीन कोड के बजाय इन हाई-लेवल लैंग्वेज का उपयोग कर सकते थे।
3. तीसरी पीढ़ी (Third Generation - 1960s to 1970s)
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों
ने तकनीक में और भी अधिक सुधार किया और कंप्यूटर को आम जनता के लिए सुलभ बनाया।
इंटीग्रेटेड
सर्किट्स (Integrated Circuits - ICs)
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों
में Integrated
Circuits (ICs) का उपयोग किया गया।
- ICs
ने ट्रांजिस्टर की जगह ले ली और
कंप्यूटर को और भी छोटा,
तेज और सस्ता बना दिया।
- एक
IC में कई ट्रांजिस्टर, रेजिस्टर्स और कैपेसिटर्स को एक ही चिप पर
लगाया जा सकता था।
- IBM 360 और PDP-8 जैसे कंप्यूटर इसी जनरेशन में विकसित हुए।
मेमोरी और
स्टोरेज (Memory and Storage)
इस जनरेशन के कंप्यूटरों
में Semiconductor
Memory का
उपयोग किया गया।
- यह
मेमोरी पहली और दूसरी पीढ़ी के मुकाबले अधिक तेजी से और स्थिरता से काम करती
थी।
- इस
जनरेशन में Hard Disks का विकास हुआ, जिससे डेटा
स्टोरेज की क्षमता में वृद्धि हुई।
ऑपरेटिंग
सिस्टम (Operating Systems)
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों
में Operating Systems का विकास हुआ।
- ऑपरेटिंग
सिस्टम ने कंप्यूटर को मल्टीटास्किंग और मल्टी-यूजर वातावरण में काम करने की
क्षमता प्रदान की।
- यह
जनरेशन कंप्यूटर के उपयोग को अधिक सरल और प्रभावी बनाने में सहायक साबित हुई।
4. चौथी पीढ़ी (Fourth Generation - 1970s to 1980s)
चौथी पीढ़ी के कंप्यूटरों
ने कंप्यूटर टेक्नोलॉजी में क्रांतिकारी परिवर्तन किए। यह जनरेशन कंप्यूटर को
व्यक्तिगत उपयोग के लिए उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण रही।
माइक्रोप्रोसेसर
(Microprocessors)
चौथी पीढ़ी के कंप्यूटरों
में Microprocessors का उपयोग किया गया।
- माइक्रोप्रोसेसर
एक ऐसी चिप होती है जो कंप्यूटर के CPU
के सभी कार्यों को संचालित करती है।
- Intel 4004 पहला माइक्रोप्रोसेसर था, जिसने कंप्यूटर को छोटे आकार में और सस्ते
में उपलब्ध कराया।
- इस
जनरेशन में कंप्यूटर का उपयोग व्यक्तिगत और व्यवसायिक दोनों स्तरों पर होने
लगा।
पर्सनल
कंप्यूटर (Personal Computers - PCs)
इस जनरेशन में Personal
Computers (PCs) का विकास हुआ।
- PC
ने कंप्यूटर को आम जनता तक पहुंचाया
और इसे व्यक्तिगत कार्यों के लिए उपयोगी बनाया।
- Apple II और IBM PC जैसे कंप्यूटर चौथी पीढ़ी के महत्वपूर्ण
उदाहरण हैं।
नेटवर्किंग
और इंटरनेट (Networking and the Internet)
चौथी पीढ़ी में Networking और Internet का भी विकास हुआ।
- कंप्यूटरों
को आपस में जोड़ने के लिए नेटवर्किंग तकनीकों का विकास हुआ, जिससे डेटा और संसाधनों को साझा करना संभव हो
गया।
- इसी
समय इंटरनेट का प्रारंभिक विकास हुआ,
जिसने वैश्विक संचार और सूचना
आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया।
5. पांचवीं पीढ़ी (Fifth
Generation - 1980s to Present)
पांचवीं पीढ़ी के
कंप्यूटरों ने आधुनिक कंप्यूटरों की नींव रखी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी तकनीकों का विकास किया।
आर्टिफिशियल
इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence - AI)
पांचवीं पीढ़ी के
कंप्यूटरों में Artificial Intelligence (AI) का उपयोग किया गया।
- AI
ने कंप्यूटरों को सोचने, सीखने और निर्णय लेने की क्षमता प्रदान की।
- यह
जनरेशन कंप्यूटर को अधिक बुद्धिमान और स्वायत्त बनाने की दिशा में काम कर रही
है।
समानांतर
प्रोसेसिंग (Parallel Processing)
इस जनरेशन के कंप्यूटरों
में Parallel
Processing का
उपयोग किया गया।
- Parallel
Processing में एक साथ कई
प्रोसेसर एक ही कार्य को तेज़ी से पूरा करने के लिए काम करते हैं।
- यह
तकनीक कंप्यूटर की प्रोसेसिंग स्पीड और क्षमता को कई गुना बढ़ा देती है।
क्वांटम
कंप्यूटिंग (Quantum Computing)
पांचवीं पीढ़ी में Quantum
Computing का
विकास हो रहा है।
- Quantum
Computing एक नई तकनीक
है जो क्वांटम भौतिकी के सिद्धांतों का उपयोग करती है।
- यह
तकनीक कंप्यूटर को अत्यधिक जटिल गणनाओं को तेज़ी से करने की क्षमता प्रदान
करती है, जिसे सामान्य कंप्यूटर नहीं कर सकते।
उन्नत
इंटरफेस (Advanced Interfaces)
इस जनरेशन के कंप्यूटरों
में Graphical
User Interfaces (GUIs) और Natural Language Processing (NLP) जैसी तकनीकों का विकास हुआ है।
- यह
तकनीकें कंप्यूटर के साथ मानव-संवाद को और भी सरल और प्रभावी बनाती हैं।
- Voice Recognition और Touch Screens जैसी तकनीकों का भी इस जनरेशन में विकास हुआ
है।
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